| 000 | 00947 a2200181 4500 | ||
|---|---|---|---|
| 003 | OSt | ||
| 005 | 20251201141121.0 | ||
| 008 | 251126b |||||||| |||| 00| 0 eng d | ||
| 040 | _c- | ||
| 082 |
_2५वी आ. _a823 _bSAN |
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| 100 | _aपांडुरंग साने | ||
| 245 |
_aश्यामची आई Syamchi Aai / _cसाने, पांडुरंग |
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| 260 |
_bज्ञानगंगा प्रकाशन : _aपुणे , _c२०२४ |
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| 300 | _a२५१ पृ. | ||
| 520 | _aसाने गुरुजींनी तुरुंगात असताना आईच्या आठवणींनी भारावून हे पुस्तक लिहिले आहे. हे पुस्तक मराठी साहित्यातील एक महत्त्वाचे अक्षरधन मानले जाते. | ||
| 650 | _aमराठी | ||
| 942 |
_cB _2ddc |
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| 999 |
_c56593 _d56593 |
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